कविता

ललन चतुर्वेदी की कविताएँ

मुजफ्फरपुर(बिहार) के पश्चिमी इलाके में नारायणी नदी के तट पर स्थित बैजलपुर ग्राम में 10 मई, 1966 को जन्मे ललन चतुर्वेदी ने एम.ए. (हिन्दी), बी एड. की शिक्षा के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की नेट जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण की है। प्रश्नकाल का दौर (व्यंग्य संकलन), ईश्वर की डायरी तथा यह देवताओं का सोने का समय है (कविता संग्रह)  उनकी प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ  हैं, साहित्य की स्तरीय पत्रिकाओं तथा प्रतिष्ठित वेब पोर्टलों पर उनकी कविताएं एवं व्यंग्य प्रकाशित होते  रहते हैं। ‘सबद पत्रिका’ पर प्रस्तुत हैं उनकी कुछ नयी कविताएँ :

सब से अच्छे लोग पहले मारे जायेंगे     

यह कोई न‌ई सूचना नहीं है
फिर भी बार-बार तैरती रहती है मानस पटल पर
जंगल में मंगल मनाने वाले मालूम नहीं किस दुनिया के नागरिक हैं
वहां जाकर  देखो ध्यान से
जो सीधे पेड़ हैं वे सबसे पहले काटे जायेंगे

जीवों के जो सबसे कोमल अंग हैं
उन पर सबसे पहले प्रहार किया जाएगा
सदियों से युद्ध की आचार-संहिता का यह क्रूर अध्याय है

उनका क्या है
वे आग लगाकर आहिस्ते से निकल जायेंगे
क्या वे कभी पकड़ में आयेंगे ?
वे दुनिया में कहीं सुरक्षित ठौर-ठिकाना पा  जायेंगे

हमारी तो सब कुछ अपनी माटी है
नदी है, जंगल है, पहाड़ है, घाटी है
हम इसी धरती पर साथ-साथ चलने वाले लोग हैं
बर्फ के साथ रिस-रिस कर पिघलने वाले लोग हैं
इन्हीं नदियों के साथ बहने वाले लोग हैं
हम आखिरी सांस भी अपनी इसी धरती पर लेंगे
यह जानते हुए भी कि सीधे लोग‌ सबसे पहले मारे जायेंगे
हम इस जमीं से टस-से-मस नहीं होंगे
यहीं जन्म लिया है, यहीं मारे जायेंगे या मर जायेंगे।

सबकी एक उम्र होती है  

एक दिन सबसे पसंदीदा पोशाक से हम बदल लेंगे स्टील का बर्तन
यदि वह उसके लायक़ नहीं रही तो गरीबों में बांट देंगे

एक दिन सबसे पुराने और प्रिय दोस्त
हमारी इच्छा सूची में अंतिम पायदान पर होंगे
पर्व-त्यौहारों के अवसर पर हम उन्हें नेवतना भूल जायेंगे
यह भी संभव है कि डिलीट हो जाए मेरे फ़ोन से उनका मोबाइल नंबर

कुछ सामाजिक बंधनों की डोर में हम कसे हुए लोग हैं
वरना कहां निभ नहीं पाते सात फेरे के रिश्ते भी

किसी क्रिया  की क्षणभंगुरता  ही मुख्य सत्य है
वही है सत्व इस जीवन का

कौन शिष्य  याद रखता है गुरु को विद्या-ग्रहण करने के बाद
रति क्रिया के पश्चात विरत हो पुरुष फेर लेता है मुख

ताल ठोंक कर नहीं कहा जा सकता  कि
यह  नियम है शाश्वत सत्य ?
और कौन‌ करता है इस जगती पर किसी से सच्चा प्रेम ?
 
दुनिया में हर चीज की एक उम्र होती है
दवा भी विष बन जाती है एक्सपायरी डेट के बाद।

स्थगित इच्छाओं के बीच एक इच्छा     

कुछ दिनों तक लोगों से मिलना मुल्तवी कर रखा है
बहुत मिठास बदल जाती है तिक्तता में

कुछ दिनों तक रहू़ंगा दुनियावी धंधे से दूर
भैंस चराने की उम्र बहुत पहले निकल चुकी है
और उसके सामने बीन बजाने की अक्ल भी नहीं है

कुछ दिनों तक रोज नदी किनारे बैठूंगा
जिसके पास बहने के सिवा कोई विकल्प नहीं है

कुछ दिनों तक रोज पेड़ों की छाया में बैठूंगा
सुनूंगा पत्तों का मधुर संगीत
पेड़ मुझसे पूछेंगे हालचाल और दर्ज़ करेंगे अपनी शिकायत –
यही कि लंबे समय से तुमसे भेंट-मुलाकात नहीं हुई
कैसे कवि हो और कहां मुब्तिला हो
आदमियों के सिवा और भी बहुत सी चीजें हैं गौरतलब इस दुनिया में

मैं शर्मिंदगी से कुछ नहीं बोलूंगा
केवल उन्हें निहारूंगा निर्निमेष
चलते वक्त उन्हें गले लगा लूंगा
और अथाह धैर्य के लिए करूंगा उनका शुक्रिया।

भौंरे 

एक छोटा सा फूल खिलता है कहीं
सबसे पहले खबर भौंरे को पहुंच जाती है
जबकि भौंरे न तो रसिक हैं, न प्रेमी हैं
उन्हें बेवजह प्रेमी का टैग दे दिया गया है

शुक्र है कि अब भौंरे फूलों का शोषण नहीं करते
बस उनसे मांगते हैं क्षण भर के लिए आसन
फिर किसी दूसरे सुगंधित पुष्प की खोज में भरते हैं उड़ान
इस तरह कोई फूल उनसे अछूता नहीं होता
वे हर फूल को दूसरे फूल से अपने संबंध का देते हैं हवाला
और प्रस्तुत करते हैं अपना आकर्षक बायोडाटा
मजबूत करते हैं अपनी दावेदारी
एक के बाद दूसरा फूल करता है उनका स्वागत-सत्कार

स्थायित्व इस समय की बड़ी कमजोरी है
भौंरे की तरह उड़ान भरना जरूरी है!

मिल जाए तो एक छोटी सी जगह मुफीद है
स्थानीय होता है मान
बस, मंडराने लगेंगे भौंरे
आपके सान्निध्य में हासिल कर लेंगे पूरा आसमान।

बूढ़ा बरगद 

एक दिन उड़ जायेंगे
सारे चिड़‌ई-चुरूंग
राही भी चले जायेंगे
अपनी-अपनी राह
वे केवल सुस्ताने के लिए ठहरे थे
थोड़ी देर तक
उन्हें प्रतीक्षा थी अनुकूल मौसम की
क्या उन्हें याद रहेगा
कोई बूढ़ा बरगद
चौराहे पर खड़ा है
अकेले धूप-आतप सहता हुआ
आकाश की ओर देखता हुआ

संपर्क : 202, असीमलता अपार्टमेंट, मानसरोवर एन्क्लेव, हटिया, रांची-834003 ; मोबाइल नंबर : 9431582801 

अपनी टिप्पणी दर्ज़ करें

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button